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Disha Students Organization : मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान


 'मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान' पत्रिका की ओर से और दिशा छात्र संगठन (Disha Students Organization) के संयोजन में 'बेरोज़गारी की समस्या -कारण और निवारण'  विषय पर आयोजित निबन्ध प्रतियोगिता का परिणाम घोषित किया गया। प्रतियोगियों को प्रमाणपत्र और पुरस्कार वितरित किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में आह्वान पत्रिका के सम्पादक प्रसेन और जनचेतना पुस्तक प्रतिष्ठान की रूबी उपस्थित रहीं।


निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान काजल सिंह को मिला।  अमन यादव दूसरे और माया तीसरे स्थान पर रहीं।

दिशा छात्र संगठन की अंजलि ने प्रतियोगिता के उद्देश्य पर बात रखते हुए बताया कि ऐसी प्रतियोगिताओं के आयोजन के पीछे मक़सद यह है कि छात्रों-नौजवानों के बीच समाज के असली मुद्दों को रेखांकित किया जाये सामाजिक मुद्दों पर आम छात्रों के बीच राय साझा की जाये।


मुख्य अतिथि प्रसेन ने कहा कि भारत में बेरोज़गारी तेजी से बढ़ रही है। करोड़ों मज़दूर और पढ़े-लिखे नौजवान, जो शरीर और मन से दुरुस्त हैं और काम करने के लिए तैयार हैं, उन्हें काम के अवसर से वंचित कर दिया गया है और मरने, भीख माँगने या अपराधी बन जाने के लिए सड़कों पर धकेल दिया गया है। आर्थिक संकट के गहराने के साथ हर दिन बेरोज़गारों की तादाद में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। अक्‍टूबर 2023 में ही बेरोज़गारी दर ने फिर से नया रिकार्ड बनाया और 10.1 प्रतिशत से भी ऊपर चली गयी (स्रोत: सेण्‍टर फॉर मॉनीटरिंग इण्डियन इकॉनमी)। 2021 तक ही नौजवानों में रोज़गार दर 10.4 प्रतिशत थी, यानी लगभग हर 100 नौजवानों में से 90 बेरोज़गार हैं। मोदी सरकार के 10 साल के राज में ही हर मिनट 3, हर घण्‍टे 182, और हर दिन 4400 नौकरियाँ घटी हैं। पहले नोटबन्‍दी और फिर कोविड के दौरान कुप्रबन्धित ढंग से थोपे गये लॉकडाउन ने ख़ास तौर पर जनता की रोज़ी-रोटी को तबाह कर डाला और उसके बाद भी मोदी सरकार ने बेरोज़गारी से निपटने के लिए कोई कदम उठाने की जगह रेलवे, हवाई अड्डों, बैंकों, बीमा संस्‍थानों व अन्‍य सरकारी उपक्रमों को निजीकरण की आंधी में झोंकना जारी रखा है, श्रम कानूनों को लागू करने वाले श्रम विभाग की मशीनरी को पंगु कर दिया है और श्रम कानूनों तक को समाप्‍त करने की तैयारी  है। 


हमारे देश में काम करने वालों की कमी नहीं है, प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है, जीवन के हर क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास और रोज़गार के अवसर पैदा करने की अनन्त सम्भावनाएँ मौजूद हैं, फिर भी छात्र-नौजवान दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। 


दरअसल बेरोज़गारी पूँजीवादी व्यवस्था की आन्तरिक गतिकी का स्वाभाविक उत्पाद है। जब तक उत्पादन लोगों की ज़रूरतों की जगह मुनाफ़े के लिए होता रहेगा तब तक इससे मुक्कमल तौर पर निजात नहीं पाई जा सकती है।


निबंध प्रतियोगिता में  साक्षी, रोशन, आराधना, शिवांगी, गरिमा, एकता पाल, आरती, निशा आदि शामिल हुईं।

Disha Students Organization, UP/ दिशा छात्र संगठन, उत्तर प्रदेश

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