"मौत क्या है? जीवन की दूसरी दिशा के सिवाय कुछ नहीं। जीवन क्या है ? मौत की ही दूसरी दिशा का नाम है। फिर डरने की क्या ज़रूरत है? यह तो प्राकृतिक बात है, उतनी ही प्राकृतिक जितना कि प्रातः में सूर्योदय। यदि हमारी यह बात सच है कि इतिहास पलटा खाता है तो मैं समझता हूँ कि हमारा बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।"
-राजिन्द्र नाथ लाहिड़ी
काकोरी एक्शन के शहीद राजिन्द्रनाथ लाहिड़ी को आज ही के दिन (17 दिसम्बर 1927) को गोण्डा जेल में फाँसी हुई थी। इसी की याद में दिशा छात्र संगठन-गोरखपुर विश्वविद्यालय इकाई की ओर से 'युवाओं के तराने' कार्यक्रम के तहत पन्त पार्क में कविता पाठ और क्रान्तिकारी गीतों का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में शामिल ज़्यादातर छात्र-युवा इन शहीदों के बहादुरी के पक्ष से तो परिचित थे, लेकिन इनके वैचारिक विरासत को नहीं जानते थे। इस दौरान छात्रों-युवाओं को काकोरी एक्शन के शहीदों की विरासत से परिचित कराया गया।
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