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‘अग्निपथ’ के ख़िलाफ़ युवाओं की बग़ावत, आम तौर पर बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ युवाओं की बग़ावत का हिस्‍सा है!


*"अग्निपथ" के मुद्दे पर दिशा और नौभास का साझा बयान*


फ़ासीवादी मोदी सरकार का नया फ़रमान: अब ठेके पर करनी होगी “राष्‍ट्र-सेवा”!

‘अग्निपथ’ लाखों छात्रों-नौजवानों के रोज़गार के अधिकार पर हमला है, इस तानाशाही फ़रमान को तत्काल रद्द करो!

‘अग्निपथ’ के ख़िलाफ़ युवाओं की बग़ावत, आम तौर पर बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ युवाओं की बग़ावत का हिस्‍सा है!

भाइयो, बहनो और साथियो!

हर वर्ष दो करोड़ रोज़गार देने का वायदा करने वाली मोदी सरकार रहे-सहे रोज़गारों को भी छीनने में लगी हुई है। तमाम विभागों में पक्के रोज़गारों को समाप्त करके ठेका, संविदा व अनुबन्ध आधारित नौकरियों की शुरुआत की जा रही है। अब मोदी सरकार ने ‘अग्निपथ’ योजना के तहत देश की सेना व अर्द्धसैनिक बलों के ठेकाकरण की योजना पेश की है। इसके तहत आम मेहनतकश जनता के बेटे-बेटियों के रोज़गार पर सीधा हमला होगा। पहले चार वर्षों तक सेना में पसीना बहाने के बाद उन्हें बिना किसी सहूलियत के, यानी बिना पेंशन के अधिकार, बिना ग्रैच्युटी आदि के दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया जायेगा। सरकार द्वारा इसका कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार बढ़ते रक्षा ख़र्च को कम करने के लिए ऐसा कर रही है। सवाल यह है कि सेना के शीर्ष अधिकारियों के मोटे वेतनों और भत्तों में कटौती करके, मन्त्रियों, सांसदों और विधायकों के मोटे वेतनों और भत्तों में कटौती करके ऐसा क्‍यों नहीं किया जा रहा है? देश के धनिक वर्गों पर अतिरिक्त प्रत्यक्ष कर लगाकर बजट घाटे को कम क्‍यों नहीं किया जा रहा है? नेताओं-मंत्रियों, नौकरशाहों, विधायकों-सांसदों और सेना-पुलिस के उच्‍च अधिकारियों की ऐय्याशी की क़ीमत देश की आम जनता और नौजवान क्‍यों चुकायें जो कि समूचे देश की समस्त सम्पदा का उत्पादन करते हैं और जिनकी मेहनत देश की समस्त समृद्धि का स्रोत है?

जब इस ठेकाकरण की साज़ि‍श के विरुद्ध देशभर में नौजवानों का ग़ुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है, तो मोदी सरकार के हाथ-पाँव फूल गये हैं। अब वह कह रही है कि योजना में कुछ बदलाव करते हुए वह कुछ छूट देगी, जैसे कि भर्ती के लिए आयु वर्ग सीमा को साढ़े सत्रह से 21 की जगह बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया गया है और पहले बैच को पाँच वर्ष तक आयु वर्ग सीमा से छूट दी जायेगी। दूसरा, जो जवान चार वर्षों की सैनिक सेवा पूरी कर लेंगे, उन्‍हें केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल में भर्ती में 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया जायेगा। तो फिर बाक़ी जवान क्या झख मारेंगे? पूँजीपति वर्ग के हितों के लिए, जिन्हें कि मोदी सरकार समेत सारी पूँजीवादी सरकारें “राष्ट्रीय हित” कहती हैं, अपनी जान को चार वर्षों के लिए दाँव पर लगाने के बाद हज़ारों-लाखों युवाओं को बेरोज़गारी का पुरस्कार प्राप्त होगा। ग़ौरतलब है कि तब उनकी उम्र क़रीब 27 वर्ष हो चुकी होगी। फिर उन्हें कहाँ नौकरी मिलेगी? यानी मोदी जी ने एक बार फिर से आम चूसकर खाने और गुठली फेंक देने की इच्छा ज़ाहिर की है!

पहले सरकारी नौकरियों के प्रति हमारी यह उम्मीद होती थी कि वहाँ हमारे जीवन में दीर्घकालिक सुरक्षा और निश्चितता आयेगी। लेकिन सरकारी नौकरियों को ख़त्म करने, उनमें भर्ती न करने की मोदी सरकार और सभी भाजपा राज्य सरकारों ने विशेष तौर पर क़सम खा रखी है। सैनिक व अर्द्धसैनिक बलों व पुलिस फ़ोर्स में भर्ती इन सरकारी नौकरियों में एक अच्छा-ख़ासा हिस्सा रखती है। अकेले केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल में क़रीब 10 लाख नौकरियाँ हैं। लेकिन वहाँ इस समय 73,219 पद ख़ाली हैं। अर्द्धसैनिक बलों में भी 73,000 पद ख़ाली हैं। राज्य पुलिस में भी क़रीब 18,124 पद ख़ाली हैं। इन पर पिछले दो वर्षों में कोई भर्ती नहीं हुई है, जबकि इसी का वायदा करके मोदी सरकार और तमाम राज्य सरकारें सत्ता में आयी थीं। अब सैनिक व अर्द्धसैनिक बलों में “राष्ट्रवाद”, “राष्ट्र-रक्षा” और “राष्ट्र-हित” की पिपहरी बजाने वाली भाजपा सरकार ने ठेकाकरण की तैयारी कर ली है।

देश के छात्रों-नौजवानों को यह समझ जाना चाहिए कि फ़ासीवादी संघ परिवार और फ़ासीवादी मोदी सरकार के “राष्ट्र” का अर्थ है पूँजीपति वर्ग और उनके चाकर। राष्ट्र का अर्थ देश नहीं होता है और देश कोई काग़ज़ पर बना नक़्शा नहीं होता है। देश बनता है उसमें रहने वाली आम जनता से जो कि खेतों-खलिहानों, कल-कारख़ानों, खानो-खदानों और दफ़्तरों में खट रहे मज़दूर, गरीब किसान व कर्मचारी हैं और सेना-पुलिस तक में आम सिपाहियों की नौकरी कर रहे आम मेहनतकशों के बेटे-बेटियाँ हैं। देश अम्बानी, अदानी, टाटा-बिड़ला, धनी व्यापारियों, धनी पूँजीवादी फ़ार्मरों से, यानी कि पूँजीपति वर्ग से नहीं बनता जो कि परजीवी वर्ग हैं, ख़ुद कोई काम नहीं करते, कुछ भी पैदा नहीं करते, समाज को कोई भी उत्पादक सेवा नहीं देते हैं। वे जोंकों के समान हमारे शरीर पर चिपके हुए हैं और हमसे हर प्रकार का हक़ छीन लेना चाहते हैं, हमारे ख़ून के एक-एक कतरे को निचोड़कर उन्‍हें सिक्कों में ढालना चाहते हैं और अपनी तिजोरियाँ भरना चाहते हैं।

फ़िलहाल सैनिक व अर्द्धसैनिक बलों में नौकरी का ठेकाकरण इन परजीवी वर्गों के हितों की सेवा करने वाली फ़ासीवादी मोदी सरकार का एक और नया क़दम है। देश में बेरोज़गारी रिकार्डतोड़ स्तर पर है। केवल मोदी सरकार के कार्यकाल में ही क़रीब 5 करोड़ लोगों के रोज़गार छिने हैं। महँगाई 8 प्रतिशत के क़रीब पहुँच रही है। रसोई गैस, पेट्रोल और डीज़ल की दरों में बेतहाशा और रिकार्डतोड़ बढ़ोत्तरी कर मोदी सरकार ने मेहनतकश जनता की जेब की आख़ि‍री चवन्नी भी लूट लेने का इन्तज़ाम किया है। साथ ही श्रम क़ानूनों में बदलाव करके कमेरी जनता को पूँजीपतियों की ग़ुलामी में और भी बुरी तरह धकेलने के लिए ठेकाकरण, कैजुअलीकरण और अनौपचारिकीकरण के रास्ते से हर बाधा को समाप्त किया जा रहा है। यही अनौपचारिकीकरण और ठेकाकरण अब मोदी सरकार सैनिक व अर्द्धसैनिक बलों में कर रही है। इसका सभी को पुरज़ोर तरीक़े से विरोध करना चाहिए। यह जनता के रोज़गार के अधिकार पर एक और हमला है।

दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा यह माँग करते हैं कि:

1. ‘अग्निपथ’ योजना को तुरन्त रद्द कर कचरा-पेटी के हवाले किया जाये क्‍योंकि यह देश के छात्रों-नौजवानों के रोज़गार के एक प्रमुख स्रोत पर हमला है और उसके ठेकाकरण की तैयारी है।

2. सेना-अर्द्धसैनिक बलों तथा केन्द्रीय सशस्‍त्र बलों में ख़ाली पड़े क़रीब 1,65,000 पदों पर तत्काल भर्ती की जाये और वे सभी सहूलियतें व अधिकार उन्हें दिये जायें जो कि अब तक दिये जाते रहे हैं।

3. ‘अग्निपथ’ की अन्यायपूर्ण और षड्यन्त्रकारी योजना के विरुद्ध आन्दोलन करने वाले युवाओं की गिरफ़्तारी तत्काल बन्द की जाये, गिरफ़्तार युवाओं को तत्काल रिहा किया जाये, उन पर लगाये गये सभी मुक़दमे बिना शर्त तत्काल हटाये जायें।

4. देश के सभी सरकारी विभागों में सभी ख़ाली पदों पर तत्काल भर्ती की जाये, निलम्बित परीक्षाएँ तत्काल आयोजित की जायें, जहाँ परीक्षाएँ हुई हैं वहाँ तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाये।

5. सशस्त्र बलों व पुलिस में आम सिपाहियों के साथ बदसलूकी और ग़ुलामों जैसा बर्ताव तत्काल सख़्त नियम बनाकर रद्द किये जायें।

6. सभी प्रकार के सशस्त्र बलों को उनके बुनियादी राजनीतिक अधिकार दिये जायें जो कि किसी भी भारत के नागरिक को दिये जाते हैं, जैसे कि, अपनी माँगों व अधिकारों हेतु संघर्ष के लिए यूनियन, संघ आदि बनाने का अधिकार व अन्य जनवादी हक़।

7. देश के सभी नागरिकों व निवासियों के लिए भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारण्टी क़ानून (BSNEGA/बसनेगा) बनाया जाये और उन्‍हें संवैधानिक तौर पर काम का हक़ दिया जाये।

8. देश में नियमित प्रकृति के सभी कामों में ठेका प्रथा समाप्त की जाये।

9. नयी पेंशन स्कीम 'एनपीएस' को तत्काल रद्द कर पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाये।

10. सभी प्रकार के सशस्‍त्र बलों को शान्तिकाल में उत्पादक कार्रवाइयों में लगाया जाये और व्यापक मेहनतकश जनता और सामाजिक जीवन से उनके अलगाव को समाप्त किया जाये।

- दिशा छात्र संगठन               - नौजवान भारत सभा

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