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जातिवाद हो बर्बाद! इंक़लाब ज़िंदाबाद!! आईआईटी मुम्बई प्रशासन शर्म करो!


जातिवाद हो बर्बाद! इंक़लाब ज़िंदाबाद!!

आईआईटी मुम्बई प्रशासन शर्म करो! 

दिशा छात्र संगठन की ओर से आज गोरखपुर विश्वविद्यालय के मेन गेट के सामने आईआईटी मुम्बई में दलित छात्र की संस्थानिक हत्या और शिक्षण संस्थानों में बढ़ते जातिगत उत्पीड़न के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया गया।

 आईआईटी मुम्बई में तीन महीने पहले आये अठारह वर्षीय  छात्र दर्शन सोलंकी (बीटेक) ने कल हाॅस्टल की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने हर एक संवेदनशील इंसान को भीतर से झकझोर दिया है।


उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत उत्पीड़न की यह कोई पहली घटना नहीं है। संस्थानों में जातिसूचक शब्दों के द्वारा अपमान, आरक्षण व गैर-योग्यता के ताने मारना आम बात है। आमतौर पर ज़्यादातर उत्पीड़ित छात्र प्रशासन से शिकायत करने से घबराते हैं। जो थोड़े-बहुत मामले प्रशासन तक पहुँचते हैं उसमें भी आमतौर पर प्रशासनिक लीपापोती कर दी जाती है। कई बार तो ऐसी वारदातों में प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर शिक्षक तक शामिल होते हैं।  उत्पीड़न और प्रशासनिक लापरवाही अक्सर पीड़ित को अवसाद और आत्महत्या की तरफ ले जाती है। इसलिए यह आत्महत्या नहीं बल्कि सांस्थानिक हत्याएं है। जिसका शिकार आईआईटी मुम्बई का छात्र हुआ। 

ऐसी घटनाओं को प्रशासन द्वारा आत्महत्या कह के टाल दिया जाता है और देश की चुनावबाज पार्टियाँ वोटबैंक की राजनीति करती हैं। अस्मितावाद  की  राजनीति करने वाले सबसे अधिक शोर-गुल मचाते हुए ख़ुद को जातिगत और धार्मिक उत्पीडन का अन्त करने वाला मसीहा साबित करने में जुट जाते हैं। इस प्रक्रिया में वह असली सवाल नेपथ्य में चला जाता है जो ऐसी घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार है।


दरअसल आज की लूट पर टिकी पूँजीवादी व्यवस्था ने अपने हितों के मद्देनजर जाति व्यवस्था में ज़रूरी बदलाव कर इसे अपना लिया है। जाति व्यवस्था के रूप में पूँजीपति वर्ग के हाथ में एक ऐसी संस्था है जिसके जरिये समाज में उठने वाले हर प्रकार के प्रतिरोध को कमजोर किया जा सकता है। अस्मितावादी संगठन भी तमाम रेडिकल बात करने के बाद भी पूँजीपति वर्ग की ही सेवा करते हैं क्योंकि अस्मितावादी राजनीति पूँजीवादी दायरों का किसी भी रूप में अतिक्रमण नहीं करती है बल्कि जनता के प्रतिरोध को अलग-अलग अस्मिताओं में खण्ड-खण्ड तोड़ कर पूँजीवादी चौहद्दी में कैद कर देती है। इसप्रकार अस्मितावादी राजनीति जाति व्यवस्था को कमज़ोर नहीं बल्कि मज़बूत करती है। इसलिए आज की जरूरत है कि जाति अन्त आन्दोलन को वर्गीय आधार पर संगठित किया जाय।

दिशा छात्र संगठन इस घटना की कड़ी निन्दा करता है और आईआईटी मुंबई की इस घटना की उच्च स्तरीय जांच व दोषियों को सख़्त सजा देने की मांग  करता है।

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