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ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) । Global Warming Kya Hai

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

वैज्ञानिकों के अनुसार वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने और हरित गृह प्रभाव (Green House Effect) के कारण हमारी पृथ्वी का तापक्रम बढ़ता जा रहा है । एक अनुमान के अनुसार अगली सदी में पृथ्वी का तापक्रम कई डिग्री बढ़ जायेगा, जिसके फलस्वरूप जगह-जगह पर पिघलने लगेगी और उसके पानी से समुद्र का पानी फैलने लगेगा इससे समुंद्र तटीय नगर पानी में डूब जाएंगे । ध्रुव प्रदेशों पर बर्फ की टोपी लगने लगेगी । फिर पृथ्वी के गर्म होने से अनेक स्थान रहने लायक नहीं रह जाएंगे ।  नई-नई बीमारियों उत्पन्न होंगी । अस्तु मानवों को इस प्रकार की क्रियाएं रोकनी चाहिए जिनसे तापक्रम में वृध्दि हो ।  ऐसी क्रियाएं की जानी चाहिए,  जिससे तापक्रम घटे। इसके अलावा वनों का प्रतिशत पढ़ाया जाना चाहिए।

भूमंडलीय तापमान के प्रभाव (Effect of Global Warming) 

भूमंडलीय तापक्रम बढ़ने के मुख्य प्रभाव निम्नांकित है -

(1) मौसम तथा जलवायु पर प्रभाव (Effect on Weather and Climate) :

बीसवीं शताब्दी में भूमंडल के औसत तापमान में लगभग 0.6% डिग्री सेंटीग्रेड की वृध्दि हुई है। पृथ्वी का औसत तापमान वर्ष 2100 तक वर्ष 1990 के तापमान से 1.4 डिग्री सेंटीग्रेड से 5.8 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ सकता है। तापमान में वृद्धि के कारण बारिश के रूख में भी बहुत परिवर्तन दृष्टिगोचर होंगे।


निचले अक्षांशों (Latitude) पर सर्दियों की बारिश कम हो सकती है। इसके साथ-साथ चरम स्थितियों (जैसे-सूखा तथा बाढ़ इत्यादि) की आवृति काफी बढ़ जाने का अनुमान है ।  जलवायु में परिवर्तन होने से मानव के स्वास्थ्य के लिए भी खतरे बढ़ जाएंगे, क्योंकि रोग वाहको (Disease Vectors) और जल जनित रोगाणुओं (Pathogens) इत्यादि के विस्तार में भी परिवर्तन दृष्टिगोचर हो जाएंगे ।

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(2) समुद्र तल पर परिवर्तन (Sea Level Changes) : 

बीसवीं शताब्दी में समुद्र तल प्रतिवर्ष 1.2 मिली मीटर बढ़ रहा है। यह अनुमान लगाया जाता है कि वर्ष 2100 तक विश्व औसत समुद्र तल 1990 के इस तरह से 0.88 मीटर ऊपर हो जाएगा।


समुंद्र तल के ऊंचे होने से मानव बस्तियों, पर्यटन, ताजे जल की आपूर्ति, खुले मैदानों, मछली पालन, कृषि तथा शुष्क व आर्द्र प्रदेशों पर विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। समुद्र तल में 0.5 मीटर की वृध्दि से भी मानव जनसंख्या प्रभावित हो जाएगी, जिसका एक तिहाई भाग समुद्र तट से 60 किलोमीटर के घेरे में रहता है ।

(3) प्रजाति वितरण के विस्तार पर प्रभाव (Effects on Range of Species Distribution) : 

भूमंडल या पृथ्वी के तापमान के बढ़ने से तापमान विस्तारों में परिवर्तन संभावित है और इसलिए यह जीवो के अक्षांशीय (Altitudinal)  तथा देशांतरीय (Longitudinal) वितरण पैटर्न को प्रभावित करेगा । 


कई प्रजातियाँ तो ऐसी हैं जो तापमान वृध्दि को सहन नहीं कर सकेंगी और लुप्त हो जाएंगी।

(4) भोजन उत्पादन पर प्रभाव (Effects on Food Production) : 

भूमंडलीय तापमान के बढ़ने से भोजन उत्पादन में कमी आ जाएगी, क्योंकि श्वसन की दर में वृद्धि हो जाएगी और पादप रोग, पीड़क जीव इत्यादि की संख्या में काफी वृद्धि हो जाएगी।


दक्षिण पूर्वी एशिया के प्रति 1 डिग्री से तापमान में वृद्धि से चावल के उत्पादन में 5% की कमी हो जाएगी।


ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए ईंधनो के प्रयोग को कम करना,  वनस्पति अच्छादन वृध्दि करना, नाइट्रोजन उर्वरकों के उपयोग को कम करना, क्लोरोफ्लोरो कार्बनो के विकल्पों को विकसित करना इत्यादि भूमंडलीय तापमान को बढ़ने से रोकने के कुछ प्रभावी उपाय हैं।

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