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आत्महत्या एक समस्या , समाधान नहीं

आत्महत्या एक समस्या , समाधान नहीं 


तुम्हारे जाने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.....न समाज को और न ही सिस्टम को....न रिश्तेदार को न ही तुम्हारे दोस्तो को.....बस उन दो आँखों में ताउम्र जख्म छोड़ जाओगे जिनसे तुम पैदा हुए थे....जिन्हें तुम्हारे जॉब से ज्यादा तुम्हारी जिंदगी प्यारी लगती है.....।


लड़ो यार.....मत करो आत्महत्या किसी तथाकथित लड़की या लड़के के प्रेम में आकर....किसी सतही सी नौकरी के लिए। नौकरी जीने का एक माध्यम हो सकता है लेकिन पूरा जीवन तो कतई नहीं हो सकता......आज अगर सरकारी विभाग में सिर्फ वेतन और सिर्फ वेतन हो तो शायद ही कोई सरकारी नौकरी के प्रति इतना चार्म रखेगा....!


तुम्हारे पद या प्रतिष्ठा में होने से ज्यादा खुशी तुम्हे जिंदा देखने पर तुम्हारे माँ-बाप को होती है भाई........आत्महत्या करने के पहले जरा एक बार कल्पना कर लो उस मंजर का जब तुम्हारी फंदे पर लटकी हुई लाश तुम्हारे माता-पिता देखेंगे.....! एक बार कल्पना करो उस लम्हें का जब तुम्हारे रिश्तेदार, नातेदार, दोस्त, यार, समाज तुम्हारे न होने पर तुम्हारे माँ-बाप पर तंज करेगा कि - गया था पढ़ने और आशनाई में मर गया....ये सब सुनने के बाद तुम अकेले नहीं मरते.....अपने साथ मार देते हो अपने माँ-बाप को.....!


कितना कठिन होता है न.....जब कोई माँ-बाप लाख मुसीबत होने पर 50-55 साल तक तुम्हें अच्छे से पाल-पोष देता है लेकिन एक झटके में उसे तुम अपने साथ मार देते हो आत्महत्या करके......।


तुम्हारे मरने से सिस्टम को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि तुम्हारे जैसों की जान लेकर ही तो ये सत्ता की सीढ़ी चढ़ते हैं... ...जब upsssc जैसे संस्थान विज्ञापन के नाम पर 2016 से बन्द पड़े हैं..... uppsc दलाली का अड्डा बना है प्रभात कुमार जैसे जल्लादों के आगे..... न्यायपालिका तभी बोलेगा जब लगेगा कि शासन उसके व्यक्तिगत प्रोटोकॉल पर हस्तक्षेप कर रहा है.....शासन अब अगले 3-4 महीने बाद तुम पर ध्यान देगा क्योंकि 22 में फिर से सत्ता चाहिए उसे।


मत मरो यार....मत करो आत्महत्या.....क्योंकि तुम्हारे जाने से तुम्हारे मां-बाप को फर्क पड़ेगा....कुछ हम जैसे मूर्खों को फर्क पड़ेगा जो अपनी पीड़ा कुछ अपनो से कहकर मौन हो जाएंगे....बहा देंगे दो आँसू तुम्हारे जाने से लेकिन और लोग तुम्हे कायर, डरपोक और न जाने क्य-क्या बोलेंगे......सच बताऊँ ऐसे लोग तुम्हे डरपोक बोलेंगे जो एक माचिस की तीली छू जाने पर चिल्ला उठते हैं और वो कल्पना नहीं कर सकते कि कितना दर्द होता होगा फंदे से लटकने में, केरोसिन से जलने में......!


लेकिन सच तो यही है कि अगर मर जाना ही सभी समस्याओं का समाधान है तो दुनिया को मर जाना ही चाहिए.....शायद ही इस दुनिया मे कोई ऐसा हो जो समस्याग्रस्त न हो.....!


मैं कोई मोटिवेशन नहीं दे रहा हूँ और न देने लायक हूँ.....मैं भी लगभग उसी समस्या से ग्रस्त हूँ जिससे तुम हो भाई....और मैं लड़ूँगा और अच्छे से लड़ूँगा...बाकी रिजल्ट जो भी होगा उसे स्वीकार करूँगा...।


पिछले 5 महीने में 10 छात्र-छात्रा कर चुके हैं आत्महत्या मेरे इर्दगिर्द प्रयागराज में.....जिसमें से एक शख्स मेरा बहुत खास था.....यह सब बहुत विचलित कर रहा है। बस भगवान पर भरोसा रखिये और संघर्ष करिए - खुद से, सिस्टम से, समाज से और जो भी समस्या आये उससे।


ये मत कहो खुदा से

मेरी मुश्किलें बड़ी हैं,


उन मुश्किलों से कह दो

मेरा खुदा बड़ा है.......

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