एक रोज तु निखरेगा ही
ढला है जो आज सूरज
कल तो निकलेगा ही
माना तेरी मंजिल लोहे की जंजीरो मे है
पर जब तू तपेगा तेरी तपन से वो लोहा भी पिघलेगा ही।।
आज तू बिखरा है
एक रोज तू निखरेगा ही।
ढला है जो आज सूरज
कल तो निकलेग ही
मंजिलो के राहो में काटें तो सभी के है
पर तेरे अंदर अगर जूनुन है तो तु उन काटों पर चलेगा ही ।।
आज तु बिखरा है
एक रोज तो निखरेगा ही
ढला है जो आज सूरज
कल तो निकलेगा ही
हवाऍ विपरीत ही कयो न चले
तु कदम कदम चलेगा ही
तुझे कल के लिए तैयार होना है
आज तो गिरेगा ही।।
4 टिप्पणियाँ
Nice
जवाब देंहटाएं👍👍
जवाब देंहटाएंWowwwwww Kirti maan superb line
जवाब देंहटाएंMa'am aap 1 month koi article nhi likha why mai wait kr rha tha aapke article ka
Plz likha kro ma'am aapke article mujhe bhut pasand hai
Views nhi aate hai to hum niraash Ho jate h.
हटाएंJyada se share kiya Kare. To hum aur likhte rahege